सितारे कब बुलंद होंगे....?
ग्रेजूएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद पत्रकारिता में कैरियर बनाने की किसी भाई साहब ने सलाह दी... उन्होंने अपने एक मित्र का भी नाम और नंबर दिया... उन से मुलाकात हुई फिर उन्होंने अपनी गाड़ी पर दो तीन खबरों की रिपोर्टिंग के दौरान मुझे घूमाया भी... उस समय प्रेस की गाड़ी पर घूम कर बहुत अच्छा लगा... पत्रकारिता को लेकर मन में तरंगे भी उठने लगी... लगा इस फिल्ड में सब कुछ है... पैसा, इज्जत, सोहरत, नाम सब कुछ... लेकिन कहां मालूम था कि जिंदगी आगे चल कर नरक हो जाएगी... नौकरी करने के दौरान हर दिन नौकरी बचाने की जद्दोजहद... नौकरी आज है पता नहीं कल रहेगी या नहीं... नौकरी को लेकर दिल में डर ने अपना घर बना लिया था...
अच्छे वक्त के इंतजार में सब्र का बांध टूटने लगा है... इंतजार की इंतेहां हो गई है...

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