ये कैसी बेरुखी...

तेरे आंखों की खता मंजूर है मुझे
तेरी बेरुखी भी मंजूर है मुझे
देखकर यू तेरा मुकर जाना मंजूर है मुझे
मुझे मालुम है तुम्हें भी प्यार है मुझसे
तेरा भी दिल धड़कता है मेरे लिए
फिर भी ये कैसी दूरिया...
तोड़ डालो समाज की उन बंदिशों को
मिटा दो समाज के उन लकिरों को
जो तुम्हें खुलकर जीने नहीं देती....
जो तुम्हें खुलकर आसमान में उड़ने नहीं देती...

तेरे आंखों की खता मंजूर है मुझे
तेरी बेरुखी भी मंजूर है मुझे... सीएल दास

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