बाकी जो है सो हइये है...



चुनावी मौसम में नेताओं में एक दूसरे पर सवाल खड़े करने की होड़ मची है... केजरीवाल....राहुल गांधी से राहुल गांधी.... नरेंद्र मोदी से....नरेंद्र मोदी गांधी परिवार से सवाल पूछ रहे है.... एक दूसरे पर हमला करने से तनिक भी लापरवाही नहीं बरती जा रही है.... ये सब हो रहा है बस कुर्सी के लिए.... गद्दी पर विराजमान होने के लिए नेता किसी भी हद तक जाने को तैयार है... वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेताओं की नजर क्या नक्सलियों पर नहीं जा रही है.... नक्सली एक के बाद एक धमाके और हमले कर देश के वीर सपूतों की जान ले रहा है... लेकिन देश को चलाने वाले और गद्दी के लालची नेता सुकमा में हुए नक्सली हमले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है... देश के वीर सपूत इन नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देना तो चाहते है लेकिन देश और राज्य की गद्दी पर बैठे हुक्मरानों की वजह से जवान ऐसा नहीं कर पा रहे है... गद्दी की लालच में हुक्मरान नक्सलियों पर सीधी कार्रवाई करने से बच रहे है... ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या इन वीर सपूतों के लिए देश का कोई नेता खुलकर सामने आएगा.... क्या कोई इनके लिए भी धरना देगा?... क्या देश की सुरक्षा में लगे जवानों के घर ऐसे ही मातम का माहौल बना रहेगा?... क्या देश के हुक्मरानों के लिए वीर सपूतों के जान से ज्यादा कीमती नक्सलियों की जान है?... जिस तरह पंजाब से चरमपंथियों को दूर भगाया गया... क्या वैसे नक्सलियों को देश से खत्म नहीं किया जा सकता?... बहुत दुख होता है जब वोट बैंक की राजनीति कर रहे नेता.... महज कुर्सी के लिए नक्सलियों को पनाह दे रहे है... नक्सलियों को बढ़ावा दे रहे है... नक्सलियों से इतनी ही हमदर्दी है तो उनके विकास के लिए कोई महत्वपूर्ण योजना बना दे.... नेताओं को या हुक्मरानों को इनके उत्थान के लिए योजना बनाने से कौन रोक रहा है... नक्सलियों को मेन स्ट्रीम में लाने से कौन रोक है? ये देश उनकी भी है... उनकों भी इज्जत और सम्मान के साथ रहने और जीने का अधिकार है... उनकों भी तरक्की करने का अधिकार है... बाकी जो है सो हइये है....

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