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सेल्समैन ने सोच बदल दी...

अक्सर हम गली मुहल्लों में घुमने वाले सेल्समैन को गलत निगाह से देखते है... उसके बारे में गलत गलत धरनाएं बनाते रहते है... कभी सोचते है कि ये नकली सामान बेच रहा है...लोगों को बुद्धू बना रहा है... ठग रहा है... चुना लगा रहा है... वगैरह वगैरह... हम अपने आप को होशियार...सच्चा...इंटेलीजेंट समझते है... कभी कभी तो हम ये भी सोच बैठते है कि सामान बेचने के बहाने चोरी करने के लिए कहीं फ्लैट की रेकी तो नहीं कर रहा है... हम उससे बात करने के लिए अपना दरवाजा तक नहीं खोलते... बाहर से ही बाहर दफा कर देते है... लेकिन आज एक सेल्स मैन ने मेरी सोच बदल दी... आंख पर बंधी पट्टी को खोल दिया... दरअसल आजकल मेरी नाइट शिफ्ट चल रही है... सुबह जैसे ही रुम पर पहुंचता हूं... नींद से मातल रहता हूं...यानि की नींद से आंखे भरी रहती है... हमेशा की तरह आज भी बाइक मकान के नीचे गली में खड़ी कर दी...लेकिन चाबी निकालना भुल गया...फिर रुम में गया... कुछ खाना खाया और सोने की तैयारी में लग गया... दोपहर करीब 12 बज रहे थे... तभी लैंडलॉर्ड का बेटा आवाज दिया दिया... भैया आपको कोई नीचे बुला रहा है... बालकनी से देखा तो कोई सेल्समैन था... म...