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Showing posts from 2014

मांझी के विवादित बोल.....

आजकल पूरे देश में बिहार की चर्चा जोरों पर है.... बिहार की इतनी चर्चा तब भी नहीं हुई थी जब बिहार का विकास दर 13 फीसदी के पार पहुंच गया था... अगर आप ये सोंच रहे है कि बिहार की चर्चा वहां हो रहे विकास कार्यों या फिर नीतीश-लालू में हुए चुनावी गठबंधन को लेकर हो रही है तो आप गलत है.... बिहार की चर्चा आजकल वहां के वर्तमान सीएम जीतन राम मांझी की वजह से हो रही है... मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी आए दिन किसी न किसी विवादित बोल की वजह से न्यूज चैनलों और अखबारों की सुर्खियां बन रहे है... जिस नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की जिम्मेदारी और नैतिकता का हवाला लेते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी... तब उन्होंने ने ये नहीं सोंचा होगा कि वो जिसे अपना उत्तराधिकारी चुना है वही जेडीयू के साथ बिहार की छवि को धूमिल कर देगा... शायद अब नीतीश कुमार को पछतावा भी हो रहा होगा कि किस मुहूर्त में उन्होंने ये फैसला लिया...       राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले नीतीश कुमार को अपने उत्तराधिकारी की वजह से अब शर्मिंदगी महसूस हो रही होगी। इन दिनों दामाद की व...

कहां है अलगाववादी नेता?

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कश्मीर बाढ़ की भीषण तबाही का सामना कर रहा है... धरती का स्वर्ग पूरी तरह से नरक में तब्दील हो चुका है... लोगों के आंखों में आंसू और दिल में अपनों को खोने का गम है... भयंकर बाढ़ ने अबतक करीब 250 लोगों को निगल गया है.... तबाही में कश्मीरियों का आशियाना पानी में बह गए... घर तो बचा ही नहीं... खाने-पीने के भी लाले पड़ चुके है... इन सबके बीच अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि कश्मीर को अपना कहने वाले अलगाववादी नेता कहां है ?... जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग करने वाले हुरियत के नेता कहां है ?.... भारत के मोस्ट वांटेड हाफिज सईद के साथ बैठने वाले यासिन मलिक कहां है ?...सैयद शाह गिलानी कहां है ?... हुरियत कांफ्रेंस के नेता मीरवाइज उमर फारुख कहां है ?....    क्या अब इन लोगों को कश्मीरियों की चिंता नहीं सता रही है ?... हूरियत जिस आर्मी को कश्मीरियों का दुश्मन बताते है वही आर्मी आज उनकी जान बचा रहे है... अपनी जान पर खेलकर बाढ़ से कश्मीरियों को निकाल रहे है... एयर फोर्स के जवान हेलिकॉप्टर से खोज-खोज को बाढ़ में फंसे लोगों को निकाल रहे है... उनके लिए कैंप की व्यवस्था के साथ ही खा...

रिश्तों की डोर

ज़िंदगी मां के आँचल की गांठों जैसी है. गांठें खुलती जाती हैं. किसी में से दुःख और किसी में से सुख निकलता है. हम अपने दुःख में और सुख में खोए रहते हैं. न तो मां का आँचल याद रहता है और न ही उन गांठों को खोलकर मां का वो चवन्नी अठन्नी देना. याद नहीं रहती तो वो मां की थपकियां. चोट लगने पर मां की आंखों से झर झर बहते आंसू. शहर से लौटने पर बिना पूछे वही बनाना जो पसंद हो. जाते समय लाई, चूड़ा, बादाम और न जाने कितनी पोटलियों में अपनी यादें निचोड़ कर डाल देना. याद रहता है तो बस बूढे मां बाप का चिड़चिड़ाना. उनकी दवाईयों के बिल, उनकी खांसी, उनकी झिड़कियां और हर बात पर उनकी बेजा सी लगने वाली सलाह. आखिरी बार याद नहीं कब मां को फोन किया था. ऑफिस में यह कहते हुए काट दिया था कि बिज़ी हूं बाद में करता हूं. उसे फोन करना नहीं आता. बस एक बटन पता है जिसे दबा कर वो फोन रिसीव कर लेती है. पैसे चाहिए थे. पैसे थे, बैंक में जमा करने की फुर्सत नहीं थी. भूल गया था दसेक साल पहले ही हर पहली तारीख को पापा नियम से बैंक में पैसे डाल देते थे. शायद ही कभी फोन पर कहना पडा हो मां पैसे नहीं आए. शादी ...

बाकी जो है सो हइये है...

चुनावी मौसम में नेताओं में एक दूसरे पर सवाल खड़े करने की होड़ मची है... केजरीवाल....राहुल गांधी से राहुल गांधी.... नरेंद्र मोदी से....नरेंद्र मोदी गांधी परिवार से सवाल पूछ रहे है.... एक दूसरे पर हमला करने से तनिक भी लापरवाही नहीं बरती जा रही है.... ये सब हो रहा है बस कुर्सी के लिए.... गद्दी पर विराजमान होने के लिए नेता किसी भी हद तक जाने को तैयार है... वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेताओं की नजर क्या नक्सलियों पर नहीं जा रही है.... नक्सली एक के बाद एक धमाके और हमले कर देश के वीर सपूतों की जान ले रहा है... लेकिन देश को चलाने वाले और गद्दी के लालची नेता सुकमा में हुए नक्सली हमले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है... देश के वीर सपूत इन नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देना तो चाहते है लेकिन देश और राज्य की गद्दी पर बैठे हुक्मरानों की वजह से जवान ऐसा नहीं कर पा रहे है... गद्दी की लालच में हुक्मरान नक्सलियों पर सीधी कार्रवाई करने से बच रहे है... ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या इन वीर सपूतों के लिए देश का कोई नेता खुलकर सामने आएगा.... क्या कोई इनके लिए भी धरना देगा ? ... क्या देश की ...

ये कैसी बेरुखी...

तेरे आंखों की खता मंजूर है मुझे तेरी बेरुखी भी मंजूर है मुझे देखकर यू तेरा मुकर जाना मंजूर है मुझे मुझे मालुम है तुम्हें भी प्यार है मुझसे तेरा भी दिल धड़कता है मेरे लिए फिर भी ये कैसी दूरिया... तोड़ डालो समाज की उन बंदिशों को मिटा दो समाज के उन लकिरों को जो तुम्हें खुलकर जीने नहीं देती.... जो तुम्हें खुलकर आसमान में उड़ने नहीं देती... तेरे आंखों की खता मंजूर है मुझे तेरी बेरुखी भी मंजूर है मुझे... सीएल दास

कौन सुनता है....

मेरे दर्द की कहानी कौन सुनता है.... मेरे आंसुओं पर कौन ध्यान देता है... दिल में दर्द लिए अकेला चल रहा हूं मैं... मेरी परछाई भी मुझसे पीछा छुड़ाने की जद्दोजहद में है... क्या खता है मेरी.... कोई मुझे भी तो बता दे... मेरे दर्द की कहानी कौन सुनता है....  मेरे आंसुओं पर कौन ध्यान देता है... ---सी एल दास