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सितारे कब बुलंद होंगे....?

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ग्रेजूएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद पत्रकारिता में कैरियर बनाने की किसी भाई साहब ने सलाह दी... उन्होंने अपने एक मित्र का भी नाम और नंबर दिया... उन से मुलाकात हुई फिर उन्होंने अपनी गाड़ी पर दो तीन खबरों की रिपोर्टिंग के दौरान मुझे घूमाया भी... उस समय प्रेस की गाड़ी पर घूम कर बहुत अच्छा लगा... पत्रकारिता को लेकर मन में तरंगे भी उठने लगी... लगा इस फिल्ड में सब कुछ है... पैसा,  इज्जत, सोहरत, नाम सब कुछ... लेकिन कहां मालूम था कि जिंदगी आगे चल कर नरक हो जाएगी... नौकरी करने के दौरान हर दिन नौकरी बचाने की जद्दोजहद... नौकरी आज है पता नहीं कल रहेगी या नहीं... नौकरी को लेकर दिल में डर ने अपना घर बना लिया था...           अच्छे वक्त के इंतजार में सब्र का बांध टूटने लगा है... इंतजार की इंतेहां हो गई है...

लॉकडाउन और मैं (CHAPTER-1)

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महीना मार्च का और तारीख 18 मार्च, इसी दिन बेटे का बर्थडे था, तबतक कोरोना भारत में दस्तक दे चुका था, कोरोना के केसेज मिलने लगे थे, कर्नाटक में 76 साल के बुजुर्ग की कोरोना से मौत हो चुकी थी, इधर नोएडा के एक स्कूल में कोरोना संक्रमितों की चर्चा जोरों पर थी, क्योंकि यहां पढ़ाई करने वाले एक बच्चे के माता-पिता इटली से लौटे थे, और उन्होंने बर्थडे पार्टी दी थी, जिसमें स्कूल के कुछ बच्चों के परिजनों को बुलाया था...बाद में जो इटली से शख्स लौटा था उसमें कोरोना की पुष्टि हुई थी, ऐसे में कोरोना संकट को देखते हुए भारत में लॉकडाउन की चर्चा शुरू हो गई थी, कोरोना संक्रमण की वजह से मैंने दो तीन दोस्तों को ही बेटे के बर्थडे में बुलाया था, वैसे भी दिल्ली में किसी भी कार्यक्रम में 20 से अधिक लोगों के शामिल होने की इजाजत नहीं थी। खैर बर्थ डे पार्टी खत्म हुई सभी लोग अपने-अपने घर लौट गए , तभी एक मित्र का फोन आया कि सब्जी मंडी में सामान खरीदने की होड़ मच गई है। सभी लोग जरूरत से अधिक सामान खरीद रहे है, शायद लॉकडाउन की घोषणा होने वाली है, मैंने तुरंत टीवी पर न्यूज चैनल लगाया, लॉकडाउन जैसी कोई खबर नहीं थी। मुझे ...

सेल्समैन ने सोच बदल दी...

अक्सर हम गली मुहल्लों में घुमने वाले सेल्समैन को गलत निगाह से देखते है... उसके बारे में गलत गलत धरनाएं बनाते रहते है... कभी सोचते है कि ये नकली सामान बेच रहा है...लोगों को बुद्धू बना रहा है... ठग रहा है... चुना लगा रहा है... वगैरह वगैरह... हम अपने आप को होशियार...सच्चा...इंटेलीजेंट समझते है... कभी कभी तो हम ये भी सोच बैठते है कि सामान बेचने के बहाने चोरी करने के लिए कहीं फ्लैट की रेकी तो नहीं कर रहा है... हम उससे बात करने के लिए अपना दरवाजा तक नहीं खोलते... बाहर से ही बाहर दफा कर देते है... लेकिन आज एक सेल्स मैन ने मेरी सोच बदल दी... आंख पर बंधी पट्टी को खोल दिया... दरअसल आजकल मेरी नाइट शिफ्ट चल रही है... सुबह जैसे ही रुम पर पहुंचता हूं... नींद से मातल रहता हूं...यानि की नींद से आंखे भरी रहती है... हमेशा की तरह आज भी बाइक मकान के नीचे गली में खड़ी कर दी...लेकिन चाबी निकालना भुल गया...फिर रुम में गया... कुछ खाना खाया और सोने की तैयारी में लग गया... दोपहर करीब 12 बज रहे थे... तभी लैंडलॉर्ड का बेटा आवाज दिया दिया... भैया आपको कोई नीचे बुला रहा है... बालकनी से देखा तो कोई सेल्समैन था... म...

जीत कर भी हार गए नीतीश

बिहार चुनाव में केवल बीजेपी की हार नहीं हुई... इस चुनाव में पीएम मोदी, अमित शाह, हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और रामविलास पासवान की हार के साथ एक और शख्स की हार हुई है... वो हैं नीतीश कुमार... बिहार की जनता ने भले ही नीतीश को 71 सीटों पर जीत दिलाई हो... लेकिन नीतीश 71 सीट जीतकर भी बुरी तरीके से हार गए.... 2010 की चुनाव में 113 सीट जीतने वाले नीतीश कुमार अब 71 पर सिमट गए हैं... वैसे तो राजनीतिक गलियारों में हमेशा चर्चा होती है कि नीतीश कुमार काफी महत्वाकांक्षी हैं... अपनी महत्वाकांक्षा के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं.... जिसका उन्होंने कई बार प्रमाण भी दिया है...चाहे 1994 में लालू का साथ छोड़कर अपनी पार्टी बना ली हो... या अपने पीएम बनने की ललक की वजह से 2013 में बीजेपी से 17 साल पुराना रिश्ता तोड़ दिया हो... या फिर सीएम की कुर्सी के लिए जितन राम मांझी को एनकेन प्रकारेण सीएम की कुर्सी से हटाकर खुद सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए हो...      बिहार विधानसभा चुनाव में मिस्टर सुशासन की जीत को हार इसलिए भी कहा जा रहा है कि सिर्फ बीजेपी को बिहार में रोक...

बिहार की राजनीति में शॉटगन की 'दमदार' एंट्री

नीतीश सरकार के पूर्व मंत्री परवीन अमानुल्लाह की राह पर चले पड़े शॉटगन शत्रुघ्न सिन्हा...अब इनका लोटिया भी डूबता हुआ नजर आ रहा है... सांसद बनने की चाह में जिस तरह परवीन अमानुल्लाह ने बिहार के मंत्री पद से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था... लोकसभा चुनाव भी लड़ी.... उम्मीद तो थी कि केजरीवाल के सहारे सांसद बन जाएंगी... और बिहार में बड़ा नाम बनकर उभरेंगी,,, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.... चुनाव में तो बुरी तरह से हारी ही... मंत्री पद भी गया... और अब बिहार विधानसभा चुनाव दरवाजे पर दस्तक दे चुका है... फिर भी कहीं नजर नहीं आ रहीं हैं... अब शत्रुघ्न सिन्हा को लगने लगा है कि मोदी राज में उनका कद छोटा हो गया है... उनको कोई भाव नहीं दे रहा है.... इसीलिए उन्होंने बगावती तेवर अपना लिया है... पहले लालू से करीबी बनाई... फिर मुख्यमंत्री नीतीश की जमकर तारीफ की... लेकिन दोनों जगह बात नहीं बनी तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दरवाजे हाजिरी लगाने पहुंच गए... न्यूज चैनलों पर चर्चा चल रही है कि आम आदमी पार्टी शॉटगन को बिहार में सीएम उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करेगी... कई चैनलों पर शॉटग...

मांझी के विवादित बोल.....

आजकल पूरे देश में बिहार की चर्चा जोरों पर है.... बिहार की इतनी चर्चा तब भी नहीं हुई थी जब बिहार का विकास दर 13 फीसदी के पार पहुंच गया था... अगर आप ये सोंच रहे है कि बिहार की चर्चा वहां हो रहे विकास कार्यों या फिर नीतीश-लालू में हुए चुनावी गठबंधन को लेकर हो रही है तो आप गलत है.... बिहार की चर्चा आजकल वहां के वर्तमान सीएम जीतन राम मांझी की वजह से हो रही है... मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी आए दिन किसी न किसी विवादित बोल की वजह से न्यूज चैनलों और अखबारों की सुर्खियां बन रहे है... जिस नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की जिम्मेदारी और नैतिकता का हवाला लेते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी... तब उन्होंने ने ये नहीं सोंचा होगा कि वो जिसे अपना उत्तराधिकारी चुना है वही जेडीयू के साथ बिहार की छवि को धूमिल कर देगा... शायद अब नीतीश कुमार को पछतावा भी हो रहा होगा कि किस मुहूर्त में उन्होंने ये फैसला लिया...       राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले नीतीश कुमार को अपने उत्तराधिकारी की वजह से अब शर्मिंदगी महसूस हो रही होगी। इन दिनों दामाद की व...

कहां है अलगाववादी नेता?

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कश्मीर बाढ़ की भीषण तबाही का सामना कर रहा है... धरती का स्वर्ग पूरी तरह से नरक में तब्दील हो चुका है... लोगों के आंखों में आंसू और दिल में अपनों को खोने का गम है... भयंकर बाढ़ ने अबतक करीब 250 लोगों को निगल गया है.... तबाही में कश्मीरियों का आशियाना पानी में बह गए... घर तो बचा ही नहीं... खाने-पीने के भी लाले पड़ चुके है... इन सबके बीच अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि कश्मीर को अपना कहने वाले अलगाववादी नेता कहां है ?... जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग करने वाले हुरियत के नेता कहां है ?.... भारत के मोस्ट वांटेड हाफिज सईद के साथ बैठने वाले यासिन मलिक कहां है ?...सैयद शाह गिलानी कहां है ?... हुरियत कांफ्रेंस के नेता मीरवाइज उमर फारुख कहां है ?....    क्या अब इन लोगों को कश्मीरियों की चिंता नहीं सता रही है ?... हूरियत जिस आर्मी को कश्मीरियों का दुश्मन बताते है वही आर्मी आज उनकी जान बचा रहे है... अपनी जान पर खेलकर बाढ़ से कश्मीरियों को निकाल रहे है... एयर फोर्स के जवान हेलिकॉप्टर से खोज-खोज को बाढ़ में फंसे लोगों को निकाल रहे है... उनके लिए कैंप की व्यवस्था के साथ ही खा...